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फास्टैग से जुड़े नए नियम, इस स्थिति में देना होगा दुगना भुगतान FasTag New Rule

FasTag New Rule: अगर आप अक्सर हाईवे पर सफर करते हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद महत्वपूर्ण है। केंद्र सरकार पिछले कई सालों से हाईवे पर प्रीपेड फास्टैग के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है। इस नीति के तहत यदि आपके वाहन पर फास्टैग नहीं है, तो आपको टोल प्लाजा पर दोगुनी राशि का भुगतान करना पड़ सकता है। हाल ही में इसी मुद्दे पर मुंबई हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

मुंबई हाई कोर्ट ने खारिज की याचिका

मुंबई हाई कोर्ट में दायर याचिका में मांग की गई थी कि टोल प्लाजा पर कम से कम एक लेन ऐसी होनी चाहिए, जहां बिना फास्टैग के भी नकद भुगतान की अनुमति हो। याचिकाकर्ता का तर्क था कि कई लोग, विशेषकर जो पढ़े-लिखे नहीं हैं, वे फास्टैग का इस्तेमाल करने में असमर्थ हो सकते हैं। उन्होंने इसे लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन बताया था। लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि सभी वाहन मालिकों को अपने वाहनों पर फास्टैग लगवाना अनिवार्य है।

फास्टैग नीति एक सरकारी निर्णय

मुख्य न्यायाधीश आलोक आराध्या और न्यायमूर्ति भारती डांगरे की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि फास्टैग की शुरुआत केंद्र सरकार का एक नीतिगत फैसला है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य हाईवे पर यात्रा को अधिक कुशल और सुगम बनाना है। कोर्ट ने यह भी कहा कि 2014 में शुरू की गई इस प्रणाली में हस्तक्षेप करने का कोई न्यायिक औचित्य नहीं है। अगर आप भी हाईवे पर अक्सर यात्रा करते हैं और आपने अभी तक अपने वाहन पर फास्टैग नहीं लगवाया है, तो आपको जल्द से जल्द यह कार्य पूरा कर लेना चाहिए, अन्यथा आपको दोगुना शुल्क देना पड़ सकता है।

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याचिकाकर्ताओं के प्रमुख तर्क

याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में कई महत्वपूर्ण तर्क दिए थे। उनका कहना था कि उचित बुनियादी ढांचे की कमी के कारण फास्टैग प्रणाली अभी पूरी तरह से सफल नहीं है, जिससे यात्रियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने तर्क दिया कि कई लोगों को अभी तक तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल करने की आदत नहीं है, और ऐसे लोगों से दोगुना टोल टैक्स वसूलना मनमाना और अवैध है। याचिकाकर्ताओं का यह भी मानना था कि यह नीति लोगों के स्वतंत्र रूप से घूमने के मौलिक अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

कोर्ट का निर्णय और स्पष्टीकरण

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जनता को इस बदलाव को अपनाने के लिए पहले ही पर्याप्त समय दिया जा चुका है, और उसके बाद ही फास्टैग को अनिवार्य किया गया है। कोर्ट ने इस गलतफहमी को भी दूर किया कि फास्टैग न होने पर वसूली जाने वाली अतिरिक्त राशि कोई जुर्माना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियमों में यह प्रावधान है कि फास्टैग लेन में प्रवेश करने वाले बिना फास्टैग के वाहनों को दोगुना शुल्क देना होगा। कोर्ट ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के तर्क को भी खारिज कर दिया।

फास्टैग से होने वाले फायदे

फास्टैग प्रणाली से कई फायदे हैं। इससे टोल प्लाजा पर लंबी कतारों से बचा जा सकता है, जिससे समय और ईंधन दोनों की बचत होती है। साथ ही, यह प्रणाली पारदर्शी और कागज रहित भुगतान को बढ़ावा देती है। फास्टैग का उपयोग करने से टोल वसूली की प्रक्रिया भी तेज और सुव्यवस्थित होती है, जिससे यात्रियों को कम परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा, यह प्रणाली राजमार्ग प्रबंधन की दक्षता को भी बढ़ाती है।

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