New Rules: हर साल की तरह इस बार भी 31 मार्च को वित्तीय वर्ष 2024-25 समाप्त हो रहा है और 1 अप्रैल से नया वित्तीय वर्ष 2025-26 शुरू होने जा रहा है। सरकार द्वारा हर महीने कुछ न कुछ नियमों में बदलाव किए जाते हैं, लेकिन नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत के साथ कई महत्वपूर्ण बदलाव एक साथ लागू होते हैं। इस बार भी बैंकिंग, इनकम टैक्स, चेक पेमेंट, क्रेडिट कार्ड और एफडी जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं। ये बदलाव आम नागरिकों की दैनिक वित्तीय गतिविधियों और भविष्य की योजनाओं पर सीधा प्रभाव डालेंगे।
न्यूनतम बैलेंस नियमों में बदलाव
बैंकों द्वारा 1 अप्रैल से न्यूनतम बैलेंस के नियमों को और अधिक कड़ा किया जा सकता है। बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस की सीमा बढ़ाने की योजना है, जो शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के अनुसार अलग-अलग होगी। भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और केनरा बैंक जैसे प्रमुख बैंकों ने अपनी न्यूनतम बैलेंस नीतियों में बदलाव की घोषणा की है। इसलिए खाताधारकों को अपने बैंक खातों में पर्याप्त राशि बनाए रखना आवश्यक होगा, अन्यथा उन्हें अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है।
चेक पेमेंट में नए नियम
चेक से होने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए सरकार ने चेक पेमेंट प्रणाली में बदलाव किए हैं। 1 अप्रैल से 50,000 रुपये से अधिक के चेक के लिए पॉजिटिव पे सिस्टम अनिवार्य हो सकता है। इस प्रणाली के तहत, चेक जारी करने से पहले चेक की सभी जानकारी बैंक को देनी होगी। यह कदम धोखाधड़ी के मामलों को कम करने में मदद करेगा, लेकिन इससे चेक से भुगतान करने की प्रक्रिया में थोड़ा अधिक समय लग सकता है। यह उपभोक्ताओं के हित में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय है।
विदेश में पैसे भेजने पर टैक्स नियमों में बदलाव
आरबीआई की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम के अंतर्गत 1 अप्रैल 2025 से विदेश में पढ़ रहे बच्चों की फीस या अन्य खर्चों के लिए 10 लाख रुपये तक भेजने पर कोई टीडीएस नहीं लगेगा। फिलहाल चिकित्सा और शिक्षा के लिए विदेश में 7 लाख रुपये से अधिक भेजने पर 5 प्रतिशत तक का टीडीएस देना पड़ता है। यह बदलाव उन अभिभावकों के लिए बड़ी राहत लेकर आएगा, जिनके बच्चे विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं, क्योंकि अब उन्हें अधिक राशि पर टैक्स का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।
इनकम टैक्स में मिलेगी राहत
नए वित्त वर्ष में करदाताओं को इनकम टैक्स में बड़ी राहत मिलने वाली है। न्यू इनकम टैक्स रेजिम के तहत पहले 7 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगता था, लेकिन अब इस सीमा को बढ़ा दिया गया है। साथ ही, पहले 15 लाख रुपये से अधिक कमाने वालों को 30 प्रतिशत तक का टैक्स देना पड़ता था, अब यह सीमा घटाकर 14 लाख रुपये कर दी गई है। इससे मध्यम आय वर्ग के लोगों पर टैक्स का बोझ कम होगा और उनके हाथ में अधिक पैसा रहेगा, जिससे वे अधिक बचत और निवेश कर सकेंगे।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए एफडी पर अधिक लाभ
सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों को एफडी पर ब्याज के मामले में बड़ी राहत दी है। 1 अप्रैल से वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस छूट की सीमा को दोगुना कर दिया गया है। पहले यह सीमा 50,000 रुपये थी, जो अब बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है। अब वरिष्ठ नागरिकों को एफडी या आरडी से प्राप्त होने वाले 1 लाख रुपये तक के ब्याज पर कोई टीडीएस नहीं देना होगा। यह उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है, जो अपनी सेवानिवृत्ति के बाद एफडी पर निर्भर हैं और जिनकी आय का मुख्य स्रोत ब्याज है।
क्रेडिट कार्ड के लाभों में कटौती
एसबीआई और आईडीएफसी जैसे बैंकों ने क्रेडिट कार्ड के रिवॉर्ड पॉइंट्स और अन्य लाभों में कटौती की घोषणा की है। माइलस्टोन बेनिफिट्स और फ्री वाउचर्स जैसे ऑफर भी कम किए जा सकते हैं। यह बदलाव क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं के लिए थोड़ा निराशाजनक हो सकता है, क्योंकि उन्हें अब अपने खर्च पर कम रिवॉर्ड और लाभ मिलेंगे। क्रेडिट कार्ड धारकों को अपने कार्ड के नए नियमों और शर्तों का ध्यान से अध्ययन करना चाहिए ताकि वे अपने खर्च की योजना बेहतर ढंग से बना सकें।
इनपुट टैक्स क्रेडिट और जीएसटी में बदलाव
व्यवसायों के लिए 1 अप्रैल से इनपुट टैक्स क्रेडिट के नियमों में बदलाव होने जा रहा है। इस नए नियम के तहत, व्यवसायों को अपना पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। इन नियमों का पालन न करने पर जुर्माना भरना पड़ सकता है। व्यापारियों और व्यवसायियों को इन बदलावों के बारे में जानकारी रखना आवश्यक है, ताकि वे समय पर सभी आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी कर सकें और किसी भी अनावश्यक जुर्माने से बच सकें।
पैन-आधार लिंकिंग का महत्व
अगर आपने अभी तक अपने पैन कार्ड को आधार कार्ड से लिंक नहीं कराया है, तो आपको टीडीएस की अधिक दर का सामना करना पड़ सकता है और टैक्स रिफंड में भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार ने इस प्रक्रिया को अनिवार्य कर दिया है और इसकी अनुपालना न करने पर आर्थिक दंड का प्रावधान है। अतः सभी करदाताओं को सलाह दी जाती है कि वे अपने पैन और आधार को जल्द से जल्द लिंक करवा लें।
डिविडेंड पर टैक्स में राहत
1 अप्रैल 2025 से डिविडेंड पर होने वाली कमाई पर टीडीएस की छूट सीमा को बढ़ा दिया जाएगा। पहले 5,000 रुपये तक के डिविडेंड पर कोई टीडीएस नहीं लगता था, अब यह सीमा बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दी गई है। इससे म्युचुअल फंड या शेयरों में निवेश करने वाले लोगों को लाभ होगा, क्योंकि अब वे अधिक डिविडेंड आय पर टैक्स से बच सकेंगे। यह कदम निवेशकों को और अधिक निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा, विशेष रूप से छोटे और मध्यम निवेशकों के लिए यह फायदेमंद होगा।
नई टैक्स व्यवस्था डिफॉल्ट रहेगी
नए वित्त वर्ष में पुरानी कर व्यवस्था का लाभ लेने के लिए अब अलग से आवेदन करना होगा, अन्यथा नई कर व्यवस्था स्वतः ही लागू हो जाएगी। यानी, अगर आप किसी भी कर व्यवस्था का चुनाव नहीं करते हैं, तो आपके लिए नई कर व्यवस्था को ही मान्य माना जाएगा। करदाताओं को अपनी आय और खर्च के अनुसार सही कर व्यवस्था का चुनाव करना चाहिए, ताकि वे अधिकतम टैक्स बचत कर सकें।
Disclaimer
प्रस्तुत जानकारी केवल सामान्य सूचना के उद्देश्य से दी गई है। किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले, कृपया एक योग्य वित्तीय सलाहकार या कर विशेषज्ञ से परामर्श करें। नियमों और कानूनों में बदलाव हो सकते हैं, इसलिए नवीनतम जानकारी के लिए संबंधित सरकारी वेबसाइटों या अधिकृत स्रोतों से पुष्टि करें।