OPS Scheme Breaking: 19 वर्षों के बाद सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की वापसी की संभावना नजर आ रही है। 1 अप्रैल 2004 को जब केंद्र सरकार ने पुरानी पेंशन योजना को समाप्त करके नई पेंशन योजना (एनपीएस) लागू की थी, तब से लेकर आज तक कर्मचारी संगठन इसका लगातार विरोध करते आ रहे हैं। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद एक निश्चित राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहता था, जबकि नई पेंशन योजना में यह सुनिश्चित नहीं है।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की पहल
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार पत्र लिखकर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प देने की मांग की है। 12 मार्च 2022, 8 अप्रैल 2023, 24 अप्रैल 2023 और 11 जुलाई 2023 को लिखे गए पत्रों में उन्होंने सरकार से यह मांग दोहराई। उनका कहना है कि कर्मचारियों को अपनी पसंद के अनुसार नई या पुरानी पेंशन योजना को चुनने का अधिकार मिलना चाहिए।
नई पेंशन योजना से क्यों असंतुष्ट हैं कर्मचारी?
नई पेंशन योजना में कर्मचारियों के वेतन से एक निश्चित राशि काटकर उसे पेंशन फंड में निवेश किया जाता है। सेवानिवृत्ति के बाद इस फंड से मिलने वाली राशि बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करती है, जिससे कर्मचारियों को भविष्य में मिलने वाली पेंशन की राशि अनिश्चित हो जाती है। इसके विपरीत, पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को अंतिम वेतन का एक निश्चित प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित रहता था।
कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से अपनाया
कर्मचारियों के लगातार विरोध को देखते हुए कुछ राज्य सरकारों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू किया है। हालांकि, इसमें कई तकनीकी समस्याएं भी सामने आई हैं। जिन राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से अपनाया है, वहां के कर्मचारियों का एनपीएस के अंतर्गत दिया गया अंशदान अभी भी वापस नहीं मिला है। यह एक बड़ी चुनौती है जिसका समाधान अभी तक नहीं निकाला गया है।
केंद्र सरकार की समिति का गठन
इस मुद्दे के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने एक समिति का गठन किया है। जेएन तिवारी ने 26 अगस्त को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी इस विषय पर चर्चा की। मुख्यमंत्री ने उन्हें बताया कि केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में कोई कार्रवाई की जाएगी। सूत्रों के अनुसार, समिति भी पुरानी पेंशन योजना को समर्थन दे रही है, जिससे कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
विकल्प देने की आवश्यकता
जेएन तिवारी का मानना है कि सरकार को कर्मचारियों को पेंशन योजना चुनने का विकल्प देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार सरकार ने निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को नई पेंशन योजना में शामिल होने का अवसर दिया है, उसी प्रकार सरकारी कर्मचारियों को भी पुरानी या नई पेंशन योजना में से किसी एक को चुनने का विकल्प मिलना चाहिए। 2009 तक केंद्र सरकार ने कुछ शर्तों पर कर्मचारियों को यह विकल्प दिया था, लेकिन अब इसे सभी कर्मचारियों के लिए खुला होना चाहिए।
चुनावी मुद्दा बन सकता है पेंशन
जेएन तिवारी ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प नहीं दिया, तो यह आने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बन सकता है। कर्मचारियों की संख्या बहुत अधिक है और वे अपने परिवारों के साथ एक बड़े मतदाता वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए सरकार को उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
नई बनाम पुरानी पेंशन योजना
नई पेंशन योजना का उद्देश्य भारत में पेंशन प्रणाली को अधिक टिकाऊ और व्यापक बनाना था। इसमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कर्मचारियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है। लेकिन सरकारी कर्मचारियों का मानना है कि उन्हें पुरानी पेंशन योजना की सुरक्षा का त्याग करने के लिए मजबूर किया गया, जबकि उन्हें चुनने का विकल्प मिलना चाहिए था। सरकार के लिए अब पूरी योजना को वापस लेना कठिन हो सकता है, लेकिन कर्मचारियों को विकल्प देना एक व्यावहारिक समाधान हो सकता है।
भविष्य की राह
पुरानी पेंशन योजना की वापसी से सरकारी कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। केंद्र सरकार की समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस मामले में आगे की कार्रवाई की जा सकेगी। कर्मचारी संगठन मांग कर रहे हैं कि सभी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना में जाने का विकल्प दिया जाए। अगर यह मांग पूरी होती है, तो यह लाखों सरकारी कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत होगी, जिनका भविष्य अब सुरक्षित हो जाएगा।
डिस्क्लेमर
यह लेख सार्वजनिक जानकारी के आधार पर तैयार किया गया है। पेंशन योजनाओं में किसी भी बदलाव की आधिकारिक पुष्टि के लिए सरकारी अधिसूचनाओं और निर्देशों का संदर्भ लेना आवश्यक है। कृपया किसी भी निर्णय से पहले संबंधित विभाग से आधिकारिक जानकारी प्राप्त करें।