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एक ही सीरियल नंबर के 2 नोटों को लेकर RBI ने बताए नियम, आपके लिए जानना जरूरी RBI Rule

RBI Rule: हम सभी के पर्स या जेब में मौजूद नोटों को लेकर कई तरह के सवाल मन में उठते रहते हैं। ये सवाल विशेषकर नोटों की असलियत और वैधता को लेकर होते हैं। कई बार ऐसा भी होता है कि हमारे पास दो ऐसे नोट आ जाते हैं जिनके सीरियल नंबर एक जैसे होते हैं। ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक है कि क्या ऐसे नोट नकली हैं या फिर इन्हें वैध माना जाएगा? भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने हाल ही में इस संबंध में कुछ महत्वपूर्ण नियम बताए हैं, जिन्हें समझना हर भारतीय नागरिक के लिए जरूरी है।

भारत में करेंसी का प्रबंधन

भारत में करेंसी जारी करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया पर है। आरबीआई अधिनियम की धारा 22 के अनुसार, भारत में नोट जारी करने का अधिकार केवल रिजर्व बैंक के पास है। इसके साथ ही धारा 25 में यह भी उल्लेख किया गया है कि नोट का डिजाइन, स्वरूप और सामग्री भारतीय रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की अनुशंसा पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार के अनुमोदन के अनुरूप होगी। ये नियम यह सुनिश्चित करते हैं कि देश में प्रचलित मुद्रा एक निश्चित मानक और गुणवत्ता के अनुसार ही जारी की जाए।

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एक ही सीरियल नंबर वाले नोट

अब आते हैं मूल सवाल पर, अगर दो नोटों का सीरियल नंबर समान हो तो क्या उन्हें वैध माना जाएगा? इस संबंध में रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने स्पष्ट किया है कि विभिन्न बैंकों के नोटों के सीरियल नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन ये अलग-अलग इनसेट लेटर, मुद्रण वर्ष, या गवर्नर के हस्ताक्षर के साथ होते हैं। इनसेट लेटर एक विशेष अक्षर होता है जो नोट के संख्या पैनल पर छपा होता है और नोट की विशिष्ट पहचान करता है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कुछ नोटों में इनसेट लेटर नहीं भी हो सकता है, जिससे उनकी पहचान में विविधता बनी रहती है।

नोटों का क्रमांकन प्रणाली

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भारतीय रिजर्व बैंक अगस्त 2006 तक जारी बैंक नोटों में एक विशेष क्रमांकन प्रणाली का पालन करता था। इस प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक बैंक नोट में एक संख्या अथवा अक्षर से प्रारंभ होने वाला विशिष्ट सीरियल नंबर दिया जाता था। इन बैंक नोटों को आमतौर पर 100 नगों के पैकेट के रूप में जारी किया जाता था। यह क्रमांकन प्रणाली नोटों की विशिष्ट पहचान सुनिश्चित करती थी और नकली मुद्रा पर नियंत्रण रखने में मदद करती थी।

खराब नोटों का निपटान

अगर आपके पास कोई ऐसा नोट है जो भुगतान योग्य स्थिति में नहीं है, तो आप इसे किसी भी बैंक की शाखा में जाकर बदल सकते हैं। प्राप्तकर्ता बैंक ऐसे नोटों को अपने पास रखते हैं और बाद में इन्हें भारतीय रिजर्व बैंक को भेज दिया जाता है, जहां विस्तृत जांच के बाद इन्हें नष्ट कर दिया जाता है। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि अयोग्य या क्षतिग्रस्त नोट चलन से बाहर हो जाएँ और उनकी जगह नए, उपयोग योग्य नोट आ जाएँ।

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रिजर्व बैंक द्वारा नोटों का सत्यापन

चलन से वापस लिए गए बैंक नोटों को भारतीय रिजर्व बैंक के निर्गम कार्यालयों में स्वीकार किया जाता है। रिजर्व बैंक इन बैंक नोटों को विभिन्न पहलुओं पर जांचता है और विस्तृत सत्यापन के बाद अनफिट नोटों को अलग कर देता है। इसके बाद इन अनफिट नोटों को नष्ट करने की श्रेणी में डाल दिया जाता है। यह प्रक्रिया मुद्रा प्रबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह सुनिश्चित करती है कि केवल गुणवत्तापूर्ण नोट ही चलन में रहें।

असली और नकली नोटों की पहचान

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भारतीय रिजर्व बैंक समय-समय पर असली और नकली नोटों के बीच अंतर पहचानने के लिए जनता को जानकारी प्रदान करता है। नोटों में कई सुरक्षा विशेषताएं होती हैं जिनकी मदद से उनकी असलियत की जांच की जा सकती है। इनमें वाटरमार्क, सुरक्षा धागा, माइक्रो टेक्स्ट, छिपे हुए चित्र और बदलते रंग की स्याही शामिल हैं। अगर आपको किसी नोट की असलियत पर संदेह है, तो आप इन विशेषताओं की जांच करके या फिर बैंक में जाकर इसकी पुष्टि करवा सकते हैं।

नोटों के सीरियल नंबर और उनकी वैधता के संबंध में रिजर्व बैंक के नियम हमें यह समझने में मदद करते हैं कि कैसे भारतीय मुद्रा प्रणाली काम करती है। जब दो नोटों के सीरियल नंबर समान होते हैं, तो जरूरी नहीं है कि वे नकली हों। रिजर्व बैंक के अनुसार, इनसेट लेटर, मुद्रण वर्ष, या गवर्नर के हस्ताक्षर में अंतर के कारण दो समान सीरियल नंबर वाले नोट भी वैध हो सकते हैं। इसलिए, अगर आपके पास ऐसे नोट हैं, तो घबराएं नहीं और उनकी अन्य सुरक्षा विशेषताओं की जांच करें या फिर नजदीकी बैंक शाखा में जाकर उनकी वैधता सुनिश्चित करें।

Disclaimer

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यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए है। नोटों की वैधता और मुद्रा प्रबंधन के संबंध में अधिक विस्तृत और अद्यतन जानकारी के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की आधिकारिक वेबसाइट देखें या अपने नजदीकी बैंक से संपर्क करें। इस लेख में दी गई जानकारी लेखन के समय तक सही है, लेकिन नियमों और प्रक्रियाओं में समय के साथ बदलाव हो सकता है। किसी भी वित्तीय या कानूनी निर्णय लेने से पहले हमेशा विशेषज्ञों की सलाह लें।

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